Saturday, August 31, 2013

बिटिया..

एकरा से अंगना-देहरी भरsल-पुरsल,
मनता-दनता के धिया-पुता।
पेट काट के पुत पोसलsहु,
आ धी के बेरा देह चोरsलहु।
पुत पियक्कर, दु कहsब त चार सुनsतो..
धी धरती हौ, धांग के चलsब चुप्पे रहतो।
                                       : अविनाश गौरव

Friday, August 23, 2013

अनुदित: गीतांजली © Rabindra Nath Tagore

सुनहट हौ आकास भयंकर, कहंऊ न हौ बादल..
धुर्रा उड़ईत हवा कहईछो, कहाँ से अतो सावन।

दूर-दूर तक लउका के तनको न हौ आस..
मईली-ओ अइसन न हौ करिआ, खाली इंजोरिया रात।

कोनो तs महादेव आबs, आकs तांडव कsरs..
दुःख में हौ धरती अप्पन, आके बीपत् हsरs।

अमृत आs बरसा में अब, न बुझाइछो अंतर..
धरती माई के प्यास बुझाsव, करs सागर मंथन।

© All India Bajjika Committee

Monday, August 19, 2013

बिखरते रंग

ये विडंबना ही होगी कि हमारी अगली पीढ़ी को अपनी बोली / भाषा की जानकारी UNESCO वेबसाइट से लेनी पड़े। भारतवर्ष जिसे विश्व विभिन्न संस्कृतियों एवं भाषाओं की विविधता के लिए जानता है, वहीं हम भारतवासी अपने विविधता को पिछड़ापन समझकर अपने इन्द्रधनुषी रंग को बिसराते चले जा रहें हैं। विविध भारत के इंद्रधनुषी रंग में अगर कोई नया रंग ना भर सकें तो कम-से-कम इसे बेरंग होने से बचाएं।
आइए हम अपनी बोली को बचाएं।

The Fading Colours

Imagine if our next generation had to go to UNESCO website to find out how we spoke. With languages dying every year, due to, among other factors, indifference of its native speakers. India is on road to losing one of its defining feautres: Linguistic diversity
Let us make sure India remains as colourful as it has ever been!
save your mother tongue!!......

सातों दिन के नाम



  हिन्दी---------------------बज्जिका

सोमवार--------------------सोमार
मंगलवार-------------------मंगर
बुधवार----------------------बूध
गुरुवार----------------------बिफे
शुक्रवार---------------------शुक्कर
शनिवार--------------------शनिच्चर
रविवार---------------------एतबार

बांग्ला और बज्जिका के शब्दों में मेल दर्शाते कूछ शब्द....

बांग्ला और बज्जिका के शब्दों में मेल दर्शाते कूछ शब्द....

हिन्दी----------------बज्जिका---------------------बांग्ला

   ।                           ।                                   ।
धुप-------------------ऱऊदा------------------------ऱऊद
कौन------------------कोन-------------------------कोन
कितनी---------------केत्ता-------------------------कोतो
तुम्हारा---------------तोहर----------------------- तोमार
मेरा------------------हम्मर-----------------------आमार
खोना----------------हेरा गेल--------------------हारीए गाछे
अभी-----------------अखनी-----------------------एखोन
जब------------------जखनी----------------------जाखोन
खरीदना--------------कीनम-----------------------कीनबो
क्या हुआ------------की होलो---------------------की होलो

हम बज्जिका बोल रहलियो हं...

हम बज्जिका बोल रहलियो हं...
हम्मर पहचान हम्मर बहीन मैथली आउर भोजपुरी से होई छई। हिन्दी के लोकभाषा के दर्जा मिलल हौ हमरा।
बिहार में तिरहुत प्रमंडल के वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर जिला आs दरभंगा प्रमंडल के समस्तीपुर, मधुबनी के आs नेपाल के कुछ जग्गह मिला के हम 2 करोड़ से ज्यादा लोग के बोली हकियो। पर अभ्भी भी हमरा कोई न चिनsह हौ। हमरा बोले में केत्ता आदमी लजाईछिन। ओहे से येतना लोग के बोली होय ...के बावजूद हमरा बिलुप्त भाषा समझलs जाईछो। हमरे साथे रहे बला हम्मर बहीन मैथली के ओक्कर लोग सs न बोले में लजsखिन आ साथे साथ मैथली भाषा के विकास में अप्पन दम लगा देलखिन जेक्कर फल हई कि आई मैथली भारत के संबीधान के ८वीं अनुसूची में जग्गह बनाबे के साथे साथ अधिकारिक मान्यतो ले लेलखिन लेकिन हम हुंअईते के हुंअईते हकियो.....